उन्होंने कहा इस तरह के अपराधों का व्यापक प्रभाव पड़ता है और इन दिनों प्रचलन में हैं। इस प्रकार आबादी के एक बड़े हिस्से की क्षमताओं और जीवन को नष्ट करने की प्रवृत्ति वर्षों से बढ़ रही है। इसलिए लोगों पर विनाशकारी प्रभाव को रोकने के लिए राष्ट्र, संसद ने अपने विवेक से अधिनियम के तहत जमानत देने के लिए कड़ी शर्तों को पेश करना उचित समझा। ऐसे मामलों में जमानत देते समय न्यायालय को विधायी मंशा और अधिनियम के जनादेश को ध्यान में रखना होगा।
Sunday, 20 March 2022
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- ड्रग्स के मामलों में जमानत देते समय कानून के पीछे विधायी मंशा को ध्यान में रखना जरूरी
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अदालतों को ड्रग्स के मामलों में जमानत देते समय नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस (एनडीपीएस) अधिनियम पारित करने के पीछे विधायी मंशा के बारे में पता होना चाहिए। अदालत ने उक्त टिप्पणी ड्रग्स के मामले में आरोपी विकास कुमार की जमानत खारिज करते हुए की। न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने अपने फैसले में कहा अधिनियम के तहत निर्धारित अपराध न केवल एक व्यक्ति विशेष के लिए बल्कि पूरे समाज, विशेषकर देश के युवाओं के लिए खतरा है।
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